त्रासदी

-Aman

सड़कों पर
मास्क पहने लोग
स्थिर पाँव से
सहज दिखने की कोशिश में
बढ़ते जा रहे हैं
बेचैनी दबाये
सक्रिय भाव में
अपने घरों की ओर
असमंजस में
मरने के डर से दूर
मौत के विकल्प के करीब
खौफ़जदा।


बर्फ़ में तब्दील होती दुनिया
और धँसते ख़्वाब
जमती कहानियाँ पर
चील की नज़र से
विज्ञान सुलझा सकता है
मेरे वहम को,
कि तुम उम्मीद हो
मेरी पाखंड रचना,
ढोंग मुस्कान और
थिरकते पैरों की।


सहमी-सी धरती मुझे
साँस लेता देखकर
जियेगी मेरे हर लम्हे तक
जिसके हर क्षण में
तुम्हारा स्मरण है
और धरती की धुरी
नाच रही है
तुम्हारे उमंग की तरह
जो मेरे लिये हैं।


एक वाकया
ट्रेन की सफ़र की तरह
पटरी के घिसते हुये
मन में याद रखा जायेगा
हमेशा;
तुम मुझे याद आ रही हो,
त्रासदी ख़त्म होने वाली है।

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